प्रदोष व्रत

16 नवम्बर (कार्तिक माह ) को प्रदोष व्रत रखा जायेगा, मंगल वार होने के कारण यह भोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा आराधना का विशेष महत्त्व है। इस दिन व्रत करने वाले को सुबह स्नान कर लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए एवं लाल रंग के पुष्प से पूजा करनी चाहिए। इस दिन सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए। पूरा दिन निराहार रह कर प्रदोष काल के समय भगवान शिव का विधि विधान के साथ पूजन कर ब्रह्मण को भोजन कराने के पश्चात् स्वम भोजन करना चाहिए इस दिन गेहू और गुड़ का भोजन सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

प्रदोष व्रत का परिचय तथा महत्व :-

प्रदोष काल :- सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद का समय प्रदोष काल कहलाता है।

1 रवि प्रदोष :- आयु वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए विशेष महत्व रखता है
2 सोम प्रदोष :- अभीष्ट सिद्धि प्राप्ति के लिए
3 भोम प्रदोष :- रोगो से मुक्ति तथा मानसिक और शाररिक स्वास्थ्य के लिए
4 बुध प्रदोष :- सभी कामनाओ की प्राप्ति के लिए
5 गुरु प्रदोष :- शत्रु के विनाश हेतु
6 शुक्र प्रदोष :- सौभाग्य तथा समृद्धि के लिए
7 शनि प्रदोष :- पुत्र प्राप्ति के लिए